Tuesday, 9 April 2019

एक नारी की व्यथा

तुम भी प्यारे
बच्चे भी प्यारे
इन दोनों के प्यार मे अटकी मैं
किसका पक्ष लू
किसकी तरफ से बोलूं
एक की तरफ तो दूसरे को नागवार
एक का समर्थन तो दूसरा नाराज
यह तो पीढ़ियों के अंतर का परिणाम
यह विद्वेष नहीं पीढ़ियों का व्दंध है
इसमे पिसती माता और पत्नी है
प्यार तो संतान और पिता मे भी
वह जाहिर नहीं होता
मुझे तो दोनों से प्यार
छोडे भी तो किसे ??
कहा मानू भी तो किसका ??
तुम तो बोल दोंगे
घर छोड़ने को
घर को संभालने वाली तो मैं
कैसे कलेजे के टूकड़े का अलगाव बर्दाश्त होगा
उसकी गलतियों को नजरअंदाज करना
जो आपकी नजर मे लगती है
मैं तो मां भी हूँ आपके प्राणप्रिय बेटे की
प्रिया और पत्नी भी हूँ
आपके प्राणप्रिय तो हम दोनों ही
मेरे प्राणप्रिय आप दोनों
फिर यह जिद अच्छी नहीं

No comments:

Post a Comment