Thursday, 18 July 2019

जहाँ प्रेम वही जीवन

सुशीला अगर सलमा बन गई
वहाँ उसे मान ,सम्मान ,सुरक्षा मिल रही है
प्रेम और अपनापन मिल रहा है
तब क्या फर्क पडता है
वही बात सलमा के साथ भी
वही बात शेरोन के साथ भी

इतना विवाद क्यों
जिंदगी हमारी है
अपनी मर्जी से जीने का हक है
जहाँ लात घूंसे मिले
तीन बार कहने से तलाक मिले
उससे अच्छा तो वहाँ है
जहाँ प्रेम मिले

शादी का बंधन प्यार से बंधा है
धर्म से नहीं
दिल मिले
मन मिले
अथिकार मिले
तब और कुछ मायने नहीं रखता

यह प्रेम और विश्वास का बंधन है
धोखा और फरेब का स्थान नहीं
जहाँ प्रेम वही जीवन

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