वह बहुत आकर्षक था
पौरूष से भरपूर
सुन्दर देहयष्टि
मनभावन व्यक्तित्व
हाथी सी मदमस्त चाल
वाणी में शेर सी दहाड़
मान और सम्मान भी
नाम और पैसा भी
ऐश्वर्य के संसाधन
क्या कुछ नहीं था
फिर भी रास नहीं आया
उसका कारण यह था
उसके पास एक छोटा सा दिल नहीं था
जो धडकता हो
भावना नहीं थी
जो मचलती हो
आग नहीं थी
जो धधकती हो
तूफान नहीं था
जो बवंडर मचाती हो
वह तो किसी मूर्तिकार की सुंदर रचना है
जो मूर्ति की तरह है
कोई अभिव्यक्ति नहीं
अपने ही घमंड में चूर
जो झुकना नहीं जानती
अकड में खड़ी है
उसकी दूर से पूजा तो कर लेंगे
पर उसके करीब जाना गंवारा नहीं
उस हाड मांस के शरीर का क्या करें
जिसमें जज्बात ही नहीं
ऐसा व्यक्ति अकेला ही रहेगा
इस दुनिया के मेले में
उसका सहभागी कोई नहीं बनेगा
बस वह अपने आप में डूबे और इतराए
वह पत्थर दिल पत्थर की मूरत ही बना रहे
इंसान होना सबके बस की बात नहीं है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 20 October 2019
इंसान बनना सबके बस की बात नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment