Friday, 18 October 2019

भोर महकी चिडिया चहकी

चिडिया चहकी
भोर महकी
सूरज चमका
प्रभात पसरा
फूल खिले
ताजगी छाई
हवा डोली
पत्ते सरसराए
लोग उठे
जागृत हुए
शुरू हुआ
नया सिलसिला
सब चलायमान
कोई आकाश में उडान भरते
कोई खेतों की तरफ जाते
कोई जीविका के लिए
कोई रसोईघर में पेट के लिए
सब जगह चहल-पहल
यह है भोर का कमाल
अंधेरे को चीरती यह आती
अपना पैर पसारती
संदेश देती
उठो सोने वालों
तत्पर हो लग जाओ काम में
आलस छोड़ो
आगे बढो
जिंदगी बैठना नहीं चलना है
चलते रहो चलते रहो
अन्यथा यह चल देगी
सब आगे निकल जाएँगे
तुम पीछे रह जाओगे

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