Saturday, 2 November 2019

कोई तमाशा तो कोई तमाशबीन

हम तो आए थे तमाशा देखने
खुद तमाशा बन बैठे
दुनिया के इस मेले में
हर कोई तमाशबीन है
तमाशा देखना चाहता है
मजा लेना चाहता है
किसी की दुखती रग को छेड़ना चाहता है
और वह भी बिना पैसे खर्च किए
फिर क्या दिक्कत है
इतना बड़ा मुख
उसमें विद्यमान छोटी सी जीभ
बस यही काफी है
अस्र छोड़ दो
बिना सोचे समझे
आपका क्या जाता है
जीभ तो इसलिए बनी ही है
बडे बडे कमाल दिखाती है
किसी को भी आहत कर सकती है
विषबुझे बाण चला सकती है
झट से नीचे गिरा सकती है नजरों में
अफवाह फैला सकती है
शोर मचा सकती है
इसके बाद अंदर चली जाती है
गायब हो जाती है कर कराकर
और अच्छा खासा तमाशा बन जाता है
लोगों को चटखारे लेकर सुनना और सुनाना
इस मेले में यही होता है
कोई तमाशा तो कोई तमाशबीन

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