Wednesday, 27 November 2019

स्वयं का साथ निभाना है

होना है वह तो होगा ही
पर तू पीछे न मुडना
धीरज मत छोड़ना
तू स्वयं के साथ रहना
देर भले हो
रात कितनी भी अंधेरी
हर रात की सुबह तो होगी ही
असफलता भले मिले
निराला और अवसाद में गोते लगाने से अच्छा
फिर प्रयत्न
उठने की कोशिश
गिरकर उठना है
फिर पैर जमाकर खडा रहना है
मजबूत बनना है
अपयश ,दुख इसे हमेशा-हमेशा के लिए भूलना है
अपनी राहें स्वयं चुननी है
अपने अनुरूप मोडना है
तेरी झोली हमेशा रिक्त रहे
यह जरूरी तो नहीं
सपने देखना छोड़ना नहीं
देखते ही रहना है
देखते देखते ही उसे अपना बनाना है
इतना बड़ा विशाल आसमान
उसको अपनी मुठ्ठी में समाना है
विश्वास रख
विश्व हमारा है
स्वयं का साथ निभाना है

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