Tuesday, 17 December 2019

कुछ चुनिंदा कविता

*Very nice poem ...so thought of sharing with family and friends:*
*Read every line slowly to enjoy the most*

*कभी साथ बैठो..*
*तो कहूँ कि दर्द क्या है...*
*अब यूँ दूर से पूछोगे..*
*तो ख़ैरियत ही कहेंगे...*

*सुख मेरा काँच सा था..*
*न जाने कितनों को चुभा गया..!*

*आईना आज फिर,*
*रिशवत लेता पकड़ा गया..*
*दिल में दर्द था और चेहरा,*
*हंसता हुआ पकड़ा गया...*

*वक्त, ऐतबार और इज्जत,*
  *ऐसे परिंदे हैं..*
   *जो एक बार उड़ जायें*
    *तो वापस नहीं आते...*

*दुनिया तो एक ही है,*
*फिर भी सबकी अलग है...*

*दरख्तों से रिश्तों का,*
*हुनर सीख लो मेरे दोस्त..*
*जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,*
*तो टहनियाँ भी सूख जाती*
   *हैं*

*कुछ रिश्ते हैं,*
*...इसलिये चुप हैं ।*
*कुछ चुप हैं,*
*...इसलिये रिश्ते हैं ।।*

*मोहब्बत और मौत की,*
*पसंद तो देखिए..*
*एक को दिल चाहिए,*
*और दूसरे को धड़कन...*

*जब जब तुम्हारा हौसला,*
*आसमान में जायेगा..*
*सावधान, तब तब कोई,*
*पंख काटने जरूर आयेगा...*

*हज़ार जवाबों से,*
*अच्छी है ख़ामोशी साहेब..*
*ना जाने कितने सवालों की,* *आबरू तो रखती है...*Copy Paste

No comments:

Post a Comment