Friday, 24 January 2020

ऐ मुसाफिर

कोई साथ न दे
ठीक है
वह भी चल जाएगा
सब छोड़ दे
ठीक है
वह भी चल जाएगा
कोई हमसफर न बने
ठीक है
वह भी चल जाएगा
पर स्वयं का साथ तो
तुझे खुद ही देना है
ऐ मुसाफिर
मंजिल तक पहुंचना भी है
निभाना तो स्वयं से ही है
हमसफ़र की जरूरत नहीं
तू अकेला ही समर्थ बन
किसी का साथ
छोड़ना जुड़ना
यह बहुत मायने नहीं
तू चल जिंदगी चलेगी
ऐसा कर
पीछे पीछे जग चले
लोग तुझसे जुड़ने की चाह रखे
तू पीछे मुड़ कर मत देख
तुझे लोग देखें
स्वयं का स्वयं से साथ निभाता चल
अकेला ही सही
चलता चला चल
मंजिल तेरी है
चलना तुझे ही है
कैसे भी
बस चलते रहना है

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