वह काली है मैं गोरी हूँ
उसका रंग और मेरा रंग नहीं समान
ऐसा लगता है मैं बहुत खूबसूरत
इसका गुमान भी है
उसको देख कर मुझे नहीं करता दोस्ती का मन
पर ऐसा क्यों है
मन करता है सवाल
दोनों को बनाने वाला तो एक ही ईश्वर
दोनों के रक्त का रंग भी लाल
दोनों ही है इंसान
शरीर रचना भी है समान
सुबह सूरज के प्रकाश
रात की कालिमा
दोनों ही है मौजूद
किसी एक के बिना नहीं चल सकती सृष्टि
हर रंग तो रंग है
सफेद केश नहीं काले केश चाहिए
तब वह काला रंग हमको भाता है
इंसान काला हो तो
फिर क्यों दुराव
मन काला न हो
तन काला हो
क्या फर्क पड़ता है
वह भी तो ईश्वर की रचना
जब पांचों ऊंगलियां बराबर नहीं
तब रंग कैसे समान
कोई काला
कोई गोरा
कोई गेहुऑ
कोई नाटा
कोई लंबा
कोई मोटा
कोई पतला
तो रहेगा ही
जब हम ऊंगली को काट कर अलग नहीं करते
तब शारीरिक बनावट से क्यो
ऊंगली ही मिलकर मुठ्ठी बनती है
और वह मजबूत हो जाती है
ऐसे ही सबसे मिलकर यह संसार संपूर्ण बनता है
हम साथी है
आए हैं और जाएंगे भी
तब यह भेदभाव क्यों
याद रहें
आप व्यक्ति का नहीं
ईश्वर का मजाक उड़ा रहे हैं
उसकी रचना पर संदेह कर रहे हैं
परमपिता परमेश्वर
कभी नहीं चाहेंगे
उनके बच्चे आपस में भेदभाव करें
द्वेष करे
घृणा करें
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Wednesday, 10 June 2020
रंग यह तो ईश्वर की देन
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