Wednesday, 10 June 2020

नहीं भूली वह बरसात

कैसे भूलें हम
कैसे भूलोंगे तुम
वह भीगा भीगा सा शमां
वह भीगा भीगा सा पल
वह भीगी भीगी सी राह
जहाँ तुम भीगे
जहाँ मैं भीगी
जहाँ तन मन दोनों भीगा
बूँदे बरसती रही
हम भीगते रहे
बरसों बाद भी वह बरसात याद है
वह भीगने का आनंद
वह हथेलियों में बूंदे पकडना
वह मुख में बूंदे गटकना
वह भीगे केशों का उलझना
वह ठिठुरन
वह हवा का झोंका
वह पत्तियों का गिरना
वह पेडो का सरसराना
वह मचलना
वह छपकना
बूँदो का टपकना
सब याद है
हर बार बरसात आती है
तुम्हारे कदमों की आहट ले आती है
कुछ बीता पल याद दिला जाती है
चेहरे पर मुस्कान ले आती है






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