Sunday, 21 June 2020

दबंगो के भी दबंग कौन ??

मैं उनकी लाडली
मैं उनकी राजकुमारी
उनका प्यार सब पर भारी
कितना भी कोई
कैसा भी कोई
पर मेरे डैडी बेस्ट
सुपर हीरों भी उनके आगे फेल

पैसा मिल सकता है
रूतबा मिल सकता है
पर सच्चा और निस्वार्थ प्यार
वह तो बस बाप से
मुश्किल घडी में खडा होता है जो
वह होता है बाप
बाप रे
ऐसे नहीं निकलता है
सर पर छत्रछाया
जेब में रूपया
यह है बाप की कृपा
पांच रूपया भी कोई नहीं यू ही देता
वहाँ बाप अपना सब कुछ लुटाता

तभी तो यह भी सच है
बाप है तो आप है
आप कितने भी बडे दबंग
पर घर में एक ही दबंग
वह है आपका बाप
जिसके सामने सिट्टी पिट्टी गुम

और मेरे पापा तो ऐसे
दबंगो के भी दबंग
पर मेरे सामने झुक जाते हैं
समर्पण कर देते हैं
हर इच्छा पूरी कर देते हैं
अनुशासन का पाठ पढाते है
नखरे उठाते हैं
अपने घर के दुलारे
मैं उनकी दुलारी
बस ऐसे ही चल रही
हमारी जिंदगानी

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