Thursday, 11 June 2020

तब सब आनंदित

लहरें कब रूकती है
उछाल मारना तो उनका स्वभाव
हवा कब रूकती है
चलना तो उनका स्वभाव
ऐसे ही तो हम भी है
काम करना
घूमना फिरना
मेल मिलाप हमारा स्वभाव
यही तो हमारे जीने का जरिया
देखा जाय तो
लहरे भी ज्वार भाटा के समय शांत
हवा भी कभी-कभी शांत
तब इस समय हमें भी शांति से रहना है
हलचल तो रूकेगी नहीं
वह तो होगी ही
पर शांति और धीरज से
जब यह समय गुजर जाएं
तब प्रसन्न  हो मनसोक्त करना
जैसे चाहे अपना जीवन जीना
इस समय थोड़ा रूककर
थोड़ा सोच समझकर
थोड़ा अनुशासित
तब सब आनंदित

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