जागते जागते अब थक सी गई हूँ
थोड़ी देर अब नींद के आगोश में जाना चाहती हूँ
यह नींद भी कमबख्त ऐसी कि
जब चाहते हैं तब तो आती नहीं
बिना बुलाए आ जाती है
एक यही तो है
जो तन मन को सुकून देती है
कुछ समय के लिए सबसे दूर कर देती है
एक अलग दुनिया की सैर कराती है
जहाँ नीरव शांति
घुप्प अंधकार
सबसे अंजान
अकेले में खोया
कभी-कभी सपनों की भी सैर कराती है
कुछ डरावने तो कुछ सुहावने
कुछ सच होते हैं
कुछ अधूरे रह जाते हैं
इसकी दुनिया बिल्कुल निराली
इससे कभी मन नहीं भरता
यह ऑख मिचौली का खेल खेलती है
आती और जाती है
कभी-कभी तो इतना सताती है
पूछो मत
रात भर छत को घूरते सुबह हो जाती है
मत पूछो
सोना क्या है
सोने से क्या हासिल होगा
जागो तभी पाओगे
सोना तो वह सोना है
जिसके पास है यह
वह सबसे बडा धनवान
सुकून की नींद
निश्चिंत होकर सोना
यह उस चमकीले वाले पदार्थ से कहीं ज्यादा मूल्यवान
बस मुझे नींद चाहिए
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Sunday, 22 November 2020
बस मुझे नींद चाहिए
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