Tuesday, 3 November 2020

अनुत्तरित प्रश्न

कुछ बोलूं तब सुनती हूँ
यह बोलती है
न बोलूं
चुपचाप रहूँ
तब यह नहीं बोलती है
बोलो तब भी
न बोलो तब भी
दोनों ही नागवार
करू तो करू क्या
जवाब दूं तब भी
जवाब न दूं तब भी
दोनों ही हाल में बेहाल
बुत या पत्थर की मूरत नहीं मैं
सब कुछ देखूं
सब कुछ सुनूं
पर अपेक्षा यह
सांस न लूँ
यह कैसे संभव है
मुख में जबान है
मन में विचार है
तब क्रिया की प्रतिक्रिया
यह तो होंगी ही
सवाल का जवाब तो मिलेगा ही
सवाल - जवाब
उत्तर - प्रत्युत्तर
इसी कश्मकश में
उलझ बैठे हैं
इस उलझन का सुलझाव
कैसे ?
यही प्रश्न है
जो अनुत्तरित है

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