Wednesday, 2 December 2020

अंकों के पीछे भागती जिंदगी

आजकल एक विज्ञापन आता है
वेदान्तू का जो ऑन लाइन शिक्षा का
उसमें जब आमिर का दोस्त सलाह मांगता है
अपने बच्चे को कौन सी जगह डालूं
तब वह उत्तर देता है
जो जवाब मिलता है
वह देख हंसी रोकते रोकते आ ही जाती है
हमारे समय तो टेम्परेचर ही थर्मामीटर का 97 - 98 का आता था
प्रतिशत की बात ही नहीं थी
सही बात है परसेन्टज का जमाना है
उसी से बुद्धिमत्ता आंकी जाती है
सब भाग रहे हैं
बच्चों को भी भगा रहे हैं
किताबों कीडा बना रहे हैं
सब बातों को नजरअंदाज कर केवल अंक
अंकों के पीछे भागते भागते यह पीढी केवल अंकों के फेर में ही न रह जाए
जुझारूपन खत्म हो जाए
पहले पाठशाला और काॅलेज
फिर बडी बडी मल्टीनेशनल कंपनी
सब नंबर का खेल
भावना खत्म हो रही है
अंकों के पीछे भागो
सैलरी के पीछे भागो
अंकों में सिमट कर रह गई सब

No comments:

Post a Comment