Sunday, 20 December 2020

अपना न हुआ

हम तो तुम्हें अपना समझे बैठे थे
तुम तो निकले कुछ और ही
बेगाना तो ठीक है
दुश्मन भी ठीक है
अपना होकर अपना न होना
यह तो ठीक नहीं
जिस पर किया विश्वास
उसी ने किया वार
दिल के टुकड़े टुकड़े कर दिए
दगाबाजी कर दी
वह प्रेम और मोहब्बत सब दिखावा
ऐसा छला कि कुछ बस न चला
दिल लेकर उसमें ही खंजर भोक दिया
यह तो पता था
धोखा होता है
धोखा दिया उसकी आहट न होने दी
अब  लगता है
धोखा भी दिया वह प्यार से
बातों की चाशनी में डुबोकर
छल किया और भनक तक नहीं
सामने क्या अब आओगे
न अपने रहे न बेगाने न दुश्मन
इस बेरहमी से तोड़ा है
अब वह जुड़ेगा कभी नहीं
तुम भी चैन न पाओगे
आज नहीं तो कल इसका फल अवश्य पाओगे

No comments:

Post a Comment