Monday, 21 December 2020

अपनी इच्छा का क्या ??

कल कुछ नहीं करना है
जी भर कर सोना है
सैर पर जाना है
जब मन चाहे तब आना है
यह जंजाल से छुटकारा पाना है
सब आराम फरमाए
हम फरमाइश पूरी करें
आज से यह प्रण है
जिसको करना है करे नहीं तो भाड मे जाएं

अलार्म बजा
सुबह हुई
हडबडा कर उठी
काम मे लग गई
चाय - नाश्ता और खाने की तैयारी
रात का संकल्प धरा का धरा रह गया
रोज ऐसे ही सोचती हूँ
सुबह होते ही सब भूल जाती हूँ
ऐसा जकड़ लिया है सबके मोह ने
अपना जीवन जी ही नहीं पाती हूँ
अपनी इच्छा को दरकिनार कर दूसरों की पूरी करती हूँ

समझ नहीं आता
यह मेरे साथ ही होता है
या हर औरत के साथ
जेल तो भली है
उससे छूटने की भी मियाद
यहाँ तो वह भी संभव नहीं

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