पल का ठिकाना नहीं
अलार्म लगा कर रखते हैं
सुबह उठने के लिए
पता नहीं
वह सुबह होगी या नहीं भी
वर्तमान का भरोसा नहीं
भविष्य के सपने बुनते है
आज बचत करते हैं
जोड़ जोड़ कर रखते हैं
उसके लिए जो अभी आया ही नहीं
जीवन अनिश्चित है
फिर भी हम निश्चिंतता मे जीते हैं
घर ऐसा मजबूत बनाते हैं
जो सालोसाल चलें
जो बीत गया
जो आने वाला है
इसमें हम वर्तमान को कहीं न कहीं नजरअंदाज करते जाते हैं
जबकि जीवन तो अब मे है
आज नहीं तो कब ??
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