Tuesday, 15 December 2020

आज नहीं तो कब

पल का ठिकाना नहीं
अलार्म लगा कर रखते हैं
सुबह उठने के लिए
पता नहीं
वह सुबह होगी या नहीं भी

वर्तमान का भरोसा नहीं
भविष्य के सपने बुनते है
आज बचत करते हैं
जोड़ जोड़ कर रखते हैं
उसके लिए जो अभी आया ही नहीं

जीवन अनिश्चित है
फिर भी हम निश्चिंतता मे जीते हैं
घर ऐसा मजबूत बनाते हैं
जो सालोसाल चलें

जो बीत गया
जो आने वाला है
इसमें हम वर्तमान को कहीं न कहीं नजरअंदाज करते जाते हैं
जबकि जीवन तो अब मे है
आज नहीं तो कब ??

No comments:

Post a Comment