Monday, 11 January 2021

यहीं तो इंसानियत है

इतना सब हो रहा है
फिर भी मन नहीं भर रहा है
सब हासिल है
घर - बार
रूपया - पैसा
मान - सम्मान
रूतबा - ओहदा
तब भी एक कसक सी
एक उधार सी
एक एहसान की
यही एहसास तो है
जो कभी खुश नहीं होने देता
उलझा रहता है
क्या यह मेरी उपलब्धि ??
इसी पर प्रश्नचिह्न लगाता है
बहुत भारी बोझ है
किसी के किए हुए एहसानों का बोझ उतारना
वह हमें हर पल याद दिलाते हैं
उपलब्धियां तुम्हारी
भागीदारी हमारी
हम न होते तो तुम आज ऐसे न होते
यह सब हमारी मेहरबानियों का फल
ऑख अपने आप शर्मसार
आपकी मेहनत आपका प्रयास
आपकी जिंदगी भर की तपस्या
सब आवाक रह जाते हैं
एहसान का एहसास
बडा खलनायक है
यह सुकून से जीने नहीं देता
कभी खुश होने नहीं देता
एहसान करें पर एहसास न कराएं
किसी के आत्मसम्मान को कायम रहने दें
उसकी आत्मा का हनन मत करें
किया होगा या किया है
यह जताना तो सब किए कराएं पर पानी फेर देगा
स्वयं का सम्मान और दूसरों का भी सम्मान
यहीं तो इंसानियत है

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