Thursday, 21 January 2021

आज की सुबह कुछ अजीब है

आज की सुबह कुछ अजीब है
मौसम में कुछ नमी सी है
ऑखों में खुमारी छायी है
दिल में हलचल मची है
नीरव शांतता में चीडियों की चहचहाट
कानों में रस घोल रही है
चीं चीं भी अब मन मोह रही है
सुबह तो हर रोज होती है
आज की सुबह कुछ अजीब है
किसी का इंतजार है
द्वार पर निगाह है
ऑखे झपकती नहीं
पलकें गिरती नहीं
नैन थकते नहीं
बस देखते एकटक
कोई आनेवाला है
यही सोच सोच कर मन खुश हो जा रहा है
अपना अजीज है
दिल के करीब है
उसी से नसीब है
खुशी और गम में शरीक है
उसी के आने की आहट है
तभी मौसम में गर्माहट है
हर पल कट रहा इंतजार में
जुटी हूँ उसीके इंतजाम में
हो रहा है आगमन
किसी प्रिय अजीज का
आज की सुबह कुछ अजीब है

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