Friday, 8 January 2021

बचपन छीन गया

उस भोली भाली बच्ची से
नजरें मिली
एक डर एक खौफ सा दिखा उसमें
यही ऑखे पहले हंसती थी
मुस्कराती थी
अब सहमी-सहमी सी है
भोलापन कहीं खो गया
जो पहले छलांग भरती थी
पीछे छुप जाया करती थी
अब सिकुड़ सी गई है
चंचलता गायब हो गई है
इस बच्ची से इसका बचपन छीन गया है
मानवता शर्मशार हो गई है
इंसानियत हैवानियत में बदल गई
वासना के भूखे दरिंदो का शिकार बन गई
अस्पताल से तो लौट आई
ठीक भी हो गई
पर उसे तो यह भी भान नहीं
हाँ वो अंकल लोगों ने बहुत मारा
वह चीखी चिल्लाई फिर भी नहीं छोड़ा
चाकलेट के बदले उसे रूलाया
वो लोग बहुत बुरे हैं
बहुत गंदे हैं
अब उनसे बात नहीं करूँगी
उनके पास नहीं जाऊंगी
इस अभागन को क्या पता
उसका सब कुछ लूट गया है
हैवानों ने उसकी जिंदगी नरक बना दी
बचपन को ही छीन लिया
उसके साथ हुआ क्या ??
यह तो उसे अभी भी नहीं पता

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