Tuesday, 27 April 2021

फिर भी है जीने की आस

सांसों में  अटकी जिंदगी
फिर भी है जीने की आस
जिंदगी का ताना - बाना बुनना
भविष्य  के  सपने देखना
कुछ  कर गुजरने का जज्बा
हार नहीं  मानना
माथे पर शिकन नहीं
आशा रखना
सब कुछ  ठीक हो जाएगा
यह वक्त  भी गुजर जाएंगा
अंधेरा कितना भी घना हो
उसकी सुबह तो निश्चित  है
तूफान  कितना भी प्रलयंकारी  हो
उसका रूकना तो निश्चित  है
यह हमेंशा के लिए  नहीं
हाँ  अपना प्रभाव  अवश्य  छोड़  जाते हैं
पर जिंदगी  भी कहाँ  हार मानती है
वह भी तो गजब की जिद्दी  है
गिरती है संभलती  है
फिर उसी जज्बे  के साथ  उठ खड़ी  होती  है
कोई उसे डिगा नहीं  सकता
इतिहास  गवाह है
जिंदगी  ने कभी हार नहीं  मानी
न जाने कितने और कैसे  कैसे पतझड़  देखे हैं
फिर भी वसंत का इंतजार  किया है
फिर मुस्कराई है
फिर खिलखिलाई है
सांसों  की  डोर को  कस  कर  थामे  रखी है
कहीं  फिसल न जाए
सांसों  में  अटकी जिंदगी
फिर भी है जीने की आस

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