Friday, 30 April 2021

संगीत बिना सब नीरस

गीत गुनगुनाती  हूँ  मैं
जब भी मन उदास होता है तब भी
खुश होता है तब भी
कहीं  न कहीं  मन को सुकून  मिलता  है
इन गीतों  में  कुछ  ऐसी बात तो हैं
जो अपने से लगते हैं
सुख  में  भी दुख में  भी
सोचती हूँ 
यह भी शायद किसी के दिल से निकली  होगी
कोई साथी हो या न हो
गीत हमारे  साथी हमेशा  के हैं
इसलिए  तो ये सदाबहार  होते हैं
बरसों  पहले भी जो गीत लिखा गया
आज भी वह समसामयिक  है
कानों  को भाते हैं
मन में  प्रेम  के फूल खिलाते हैं
ऑखों में  ऑसू ला देते हैं
कभी-कभी  मस्ती के मूड  में  भी ले आते हैं
अकेलापन  हो
भीड़  में  हो
पिकनिक में  हो
बस में  हो
ट्रेन  में  हो
ऑटो में  हो
रेडियो  पर हो
टेलीविजन  पर हो
आज तो इयरफोन  और मोबाइल  का जमाना है
सुमधुर  संगीत तो हर दिल को भाता है
संगीत में  इतनी  बड़ी  शक्ति
वह सबको अपने वश में  कर लेता है
उसके बिना तो दुनिया  नीरस

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