बारिश की बूंदों ने जैसे ही छुआ
मन में सिहरन सी हुई
याद आ गई
वह पहली मुलाकात
तुम सकुचे से
मै चाहती पास - पास आना
तुम रहते दूर- दूर
तब आया एक साथी
वह था तुम्हारा छाता
आ गए
पास - पास
एक ही छाता
उसमें हम और तुम
कभी यहाँ कभी वहाँ
तुम मुझे भीगने से बचाते
मेरी तरफ छाता करते
इस तरह पास - पास आते
मैं मन ही मन खुश होती
जान - बुझकर
इधर-उधर होती
तुम्हारी परेशानी देख मन ही मन मुस्काती
इतना केयर करना
यह भी तो एक तरह का प्यार है
जो मुझसे अपनी बीवी से भी सकुचाए
वह किसी और की तरफ क्या देखेंगा
यह गूरूर तो हमेशा रहा है
मेरा पति केवल मेरा है
न हो धन - दौलत
न हो घर - बार
कोई बात नहीं
बस प्यार रहे बरकरार
हमारा और तुम्हारा साथ
एक ही छाते के नीचे
तब चाहे हो बारिश या तूफान
तो उसका भी सामना कर लेंगे
हर बवंडर को दूर भगाएंगे
अपने उडते हुए छाते की डंडी कस कर पकड़ रखेंगे
बरखा भिजाती रहें
हम भीगते रहें
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Wednesday, 19 May 2021
हम भीगते रहें
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