धन और मन
यह एक दूसरे से जुड़े
धन रहे तो मन प्रसन्न
यह जरूरी नहीं
न रहने पर भी प्रसन्न रह सकता है
प्रसन्नता की डोर धन से बंधी हो
यह तो भ्रम है
धन आता - जाता है
मन तो बस अपना ही है
वह कही नहीं जाने वाला
प्रसन्न रहे
धन हो तब भी
न हो तब भी .
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