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दौलत भी मिली शोहरत भी मिली फिर भी सुकून न मिला कोई अपना न मिला कहने को तो बहुत है अपने सबसे घिरे रहते हैं हर वक्त फिर भी सच्चाई कहीं नजर नहीं आती हर चेहरे पर एक मुखौटा कौन है असली कौन है नकली यह पहचानना बहुत जरूरी
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