Tuesday, 30 November 2021

गलती को स्वीकार कर लेना ही बडप्पन है

कभी-कभी गलती किसी और की
दोषारोपण किसी और पर
कैसा लगता होगा
व्यथा तो होती ही है
शायद जिसकी गलती है
वह भी तो चैन से नहीं बैठता होगा
कोई देखें  या न देखें
अंतरात्मा तो जरूर देखती है
वह शख्स खुश कैसे होता होगा
अगर हाड - मांस के शरीर में दिल है तो
दिल कोमल होता है
खूबसूरत होता है
वह किसी को दगा कैसे दे सकता है
किसी और के कंधे पर बंदूक रख चलाने से बेहतर अपने गिरेबान में झांक ले
गलती हो गई तो हो गई यार
क्या फर्क पड़ता है
भगवान नहीं इंसान है हम
गलती को स्वीकार कर लेना ही बडप्पन है ।

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