Sunday, 28 November 2021

यह महामारी कैसे कैसे दिन दिखाने वाली है

आज विजय घर आया है
वही विजय जो पहला युवक था जो हमारी बस्ती से विदेश गया था
बडा बनने , कमाने
सब उसको नुक्कड़ तक छोडने आए थे
जब तक टैक्सी में नहीं बैठा , टाटा - बाय - बाय करते रहे
बहुत ने फरमाइशे की थी
हमारे लिए यह लाना वह लाना
दोस्त और रिश्तेदारो ने भी
अचानक महामारी का आगमन
सब छोड़कर आना पडा
बडी मुश्किल से आ पाया
पर यह क्या
सबका रवैया बदला हुआ
कोई उससे बात नहीं करता
बात करने की तो छोड़ ही दो
देखते भी नहीं
दरवाजा बंद कर लेते हैं
दोस्त ऑखे चुराते हैं
ऐसा लगता है
जैसे वह कोई क्राइम कर आया हो
वह भी विदेश से
कितना खतरनाक है
वहाँ  का हाल बहुत विकट है
उसकी भी सब चाचणी हुई
निकला तो कुछ नहीं
बीमारी का कोई लक्षण नहीं
तब भी सबकी घूरती ऑखे
मानो वह बहिष्कृत है
क्या है न
अभी आगे और कौन-कौन से दिन देखने पडे
वह तो ऊपरवाला ही जानता है

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