मैं माॅ हूँ
एक अनब्याही माँ
समाज की नजरों में गिरी औरत
सबकी नजरें मुझ पर
खैर इतना तो ठीक
आज बात मेरे बच्चे पर
जो मुझे बहुत नागवार
उसका क्या दोष
उस अबोध का
वह आदमी जो इसके लिए जिम्मेदार
वह मुकर गया
यह मानने से इनकार कर दिया
ज्यादा जोर देने पर कहा
गिरा दो बच्चा
जो मुझसे नहीं हुआ
भागीदार तो मै भी थी
मैंने अपनी जिम्मेदारी समझी
अब समस्या आई
उसके एडमीशन की
बाप का नाम चाहिए
वह कहाँ से लाऊं
सैकड़ों प्रश्न
किसका किसका उत्तर दू
शिक्षा तो हर बच्चे का अधिकार है
वह जायज है
नाजायज है
अनाथ है
गरीब है
देश का भविष्य तो है
उसे संवारना सबकी जिम्मेदारी
शिक्षा के बडे बडे ठेकेदार
यह सोचे समझे
हर बच्चे को शिक्षा
नहीं तो क्या फायदा
ऐसे कर्णधारो का
जाति - धर्म
वेज - नानवेज
यह भी कभी-कभी
अमीरी-गरीबी तो हैं ही
कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष
दिखता कुछ है होता कुछ है
मैं एक मुक्त भोगी माँ
यह व्यथा मेरी ही नहीं
न जाने कितनों की
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 6 November 2021
एक अनब्याही माँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment