Saturday, 6 November 2021

एक अनब्याही माँ

मैं माॅ हूँ
एक अनब्याही माँ
समाज की नजरों में गिरी औरत
सबकी नजरें मुझ पर
खैर इतना तो ठीक
आज बात मेरे बच्चे पर
जो मुझे बहुत नागवार
उसका क्या दोष
उस अबोध का
वह आदमी जो इसके लिए जिम्मेदार
वह मुकर गया
यह मानने से इनकार कर दिया
ज्यादा जोर देने पर कहा
गिरा दो बच्चा
जो मुझसे नहीं हुआ
भागीदार तो मै भी थी
मैंने अपनी जिम्मेदारी समझी
अब समस्या आई
उसके एडमीशन की
बाप का नाम चाहिए
वह कहाँ से लाऊं
सैकड़ों प्रश्न
किसका किसका उत्तर दू
शिक्षा तो हर बच्चे का अधिकार है
वह जायज है
नाजायज है
अनाथ है
गरीब है
देश का भविष्य तो है
उसे संवारना सबकी जिम्मेदारी
शिक्षा के बडे बडे ठेकेदार
यह सोचे समझे
हर बच्चे को शिक्षा
नहीं तो क्या फायदा
ऐसे कर्णधारो का
जाति - धर्म
वेज - नानवेज
यह भी  कभी-कभी
अमीरी-गरीबी तो हैं ही
कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष
दिखता कुछ है होता कुछ है
मैं एक मुक्त भोगी माँ
यह व्यथा मेरी ही नहीं
न जाने कितनों की

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