Sunday, 5 December 2021

मैं कमल हूँ

मैं कमल हूँ
कीचड़ में भी खिलता हूँ
अपने को दाग नहीं लगने देता
खिलकर खुशी देना
यह मेरा स्वभाव है
कीचड़ में रहकर भी उसका प्रभाव मुझ पर नहीं पडता
मुझे ईश्वर के चरणों में अर्पित किया जाता है
मैं वही चाहता हूँ
मेरा जन्म जिसके लिए हुआ है उसी के लिए हो
मुझे राजनीति में न शामिल किया जाएं
मैं अपनी कोमल पंखुड़ियो के साथ खिला रहूँ
मेरा रंग लोगों को आकर्षित करता रहें
सब मुझसे प्यार करें
नफरत नहीं
क्योंकि मैं तो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता
मेरे लिए तो सब समान है
मैं भेदभाव से परे हूँ
मुझे पुष्प ही रहने दे
राजनीति का मोहरा नहीं

No comments:

Post a Comment