Sunday, 5 December 2021

शब्द और विचार

मुझे कुछ कहना है
क्या कहना है
यह तो पता नहीं
कहने की कोशिश करती हूँ
शब्द ही असमर्थ हो जाते हैं
साथ ही नहीं देते
मन में तो विचार उमडते घुमडते
उन पर तो पाबंदी नहीं
शब्दों के पास ऐसी असमर्थता क्यों
सारे नियम,  अनुशासन सब उन्हीं पर लागू
नसीहत भी उन्हीं को
सोच समझ कर बोलो
मीठा बोलो
अच्छा बोलो

विचार के साथ तो ऐसा नहीं होता
किसी को पता भी नहीं लगने देता
कौन क्या सोच रहा है
उनको पूरी छूट है
जहाँ भ्रमण करना हो करें
जो सोचना हो सोचें
जो गोपनीय रखना हो रखे

यही अंतर है
कहने को तो विचार को अभिव्यक्त तो शब्द ही करते है
शब्द के लिए मर्यादा है
विचार के लिए नहीं।

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