Tuesday, 7 December 2021

अब तो चलो खेत और खलिहान

हो गई विहान
अब तो चलो
खेत और खलिहान
आलस त्यागो
खुरपी कुदाल उठाओ
फसलें कर रही इंतजार
उनको भी कुछ खाद - पानी दो
कुछ देखभाल करों
तभी तो यह लहलहाएगी
तुमको मन माफिक अनाज देंगी
कब तक बैठ रहोगे
भगवान भरोसे
सरकार भरोसे
कुछ अपने हाथों का भी बल दिखाओ
फसलें उगाकर दिखाओ
बैठ रहने से
आलस करने से
कुछ काम नहीं होने वाला
कब तक सरकारी कोटे का मुफ्त का अन्न खाओगे
उगाओगे तभी तो पाओगे
तुम तो किसान के बेटे हो
धरती माता के लाल हो
तुम ही अपना कर्म नहीं करोगे
तब दूसरा कौन करेंगा
शहरों की चकाचौंध में  खोकर
गाँव से पलायन कर
कुछ नहीं हासिल होगा
न यहाँ के न वहाँ के
बीच में ही फंस कर रह जाओगे
छोड़ो यह सब बातें
हो गई विहान
अब तो चलो
खेत और खलिहान

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