Sunday, 9 January 2022

मैं और मोबाइल

मैं और मोबाइल
अक्सर यह बातें करते रहते हैं
मैं अपने आपसे सवाल पूछती हूँ अक्सर
अगर यह न हो तो
पहले पहल तो समझ न आती
अब आ गई
तब हाथ से छूटना मुश्किल
रात दिन साथ रहती है
अकेलेपन की साथी है
जब कोई न हो
तब मन बहलाती है
कुछ समझ न आए
तब तुरंत बताती है
हर सवाल का जवाब है
इसके पास
बस सर्च करना है
शब्दकोश हो
पाक कला हो
समाचार हो
फिल्मी खबर हो
कुछ खरीदना हो
साहित्य की जानकारी
अपनों से बातचीत
किसी को बधाई देना हो
दुश्मन को भी
दोस्त बनाती है
अंजान को भी
अपना बनाती है
जो दूर है
उन्हें पास होने का एहसास कराती है
नजरअंदाज करना हो किसी को
लग जाओ छिपा
किसी का सामना न करना हो
सीधे बातचीत का मन न हो
बस मेसेज कर दो
काम बन जाएगा
हर समय नित नयी नयी
अभी तो बहुत कुछ इसमें छिपा है
जो मानव मन पर छाप छोड़ दे

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