तवे पर रखती जा रही थी
उलट - पुलट सेकते जा रही थी
अचानक मन में एक विचार कौंधा
रोटी जब बेल रही थी तब तो सफेद सफेद
उलटने पलटने से चित्ती पड रही थी
जब दोनों तरफ उलट पलट लिया
तब उसको फुलाया
फुल कर कुप्पा
ऐसे ही तो हमारे साथ होता है
रोटी आग के चटके खाने के बाद फूलती है
जिंदगी भी झटके देती रहती है
समय-समय पर तपाती है
तभी हम कुछ लायक बन पाते हैं
जो प्रोसीजर रोटी का वहीं तो जीवन का
अनाज से लेकर रोटी तक की यात्रा
सब कुछ सहना पडता है
यही जीवन-चक्र है
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