गैलरी और मुंडेर पर
चिडियाँ ची ची नहीं करती
अब वह भी समझ रहे हैं
जो खुद पिंजरे में कैद है
वह हमें क्या आसरा देगा
क्या खाना पीना देगा
खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल और जाली
जहाँ देखों वहाँ ही जालिया
अब यह जरूरत बन गई है
जगह की कमी है
तो खिड़की में ही थोडी जगह बना ले
कुछ सामान रखने के काम आएगा
गमले इत्यादि रखेंगे
फिर कबूतर , कौआ यहाँ तक कि चूहा भी
कोई नहीं आ पाएगा
अब डर रहे हैं लोग
गंदगी होगी
कौन साफ करेंगा
यह सब तो पहले भी थे
तब जाली नहीं लगती थी
जैसे आदमी ने अपने को फ्लैट में रख लिया है
वैसे ही जाली से भी ढक लिया है
किसी का भी डिस्टर्ब नहीं चाहिए
न आदमी का न पशु-पक्षियों का
No comments:
Post a Comment