Sunday, 9 October 2022

डिस्टर्बेन्स नहीं चाहिए

अब पक्षी नहीं आते खिड़की पर 
गैलरी और मुंडेर पर 
चिडियाँ ची ची नहीं करती
अब वह भी समझ रहे हैं 
जो खुद पिंजरे में कैद है
वह हमें क्या आसरा देगा 
क्या खाना पीना देगा 
खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल और जाली
जहाँ देखों वहाँ ही जालिया 
अब यह जरूरत बन गई है
जगह की कमी है
तो खिड़की में ही थोडी जगह बना ले
कुछ सामान रखने के काम आएगा 
गमले इत्यादि रखेंगे 
फिर कबूतर  , कौआ यहाँ तक कि चूहा भी
कोई नहीं आ पाएगा 
अब डर रहे हैं लोग
गंदगी होगी 
कौन साफ करेंगा 
यह सब तो पहले भी थे
तब जाली नहीं लगती थी
जैसे आदमी ने अपने को फ्लैट में रख लिया है
वैसे ही जाली से भी ढक लिया है
किसी का भी डिस्टर्ब नहीं चाहिए 
न आदमी का न पशु-पक्षियों का 

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