माँ से मायका
यह हो तो बदल जाता जीवन का जायका
इनके बिना तो सब गडबडाता
बस सब यादों में समाता
अब तो बस याद ही बसी है
वो रूठना - मनाना
वो झगड़ना - चिल्लाना
वो हंसना - खिलखिलाना
वो मौज- मस्ती और शरारते
सब है याद बहुत आते
वे क्या गए
अपने साथ वह प्यारा सा जहां भी ले गए
बस नाम छोड़ गए
घर छोड़ गए
उनके बिना तो घरौंदा भी सूना
जहाँ वे नहीं वहाँ नहीं मन लगता
कितना भी अपनापन हो तब भी लगता पराया
घर भले हो पर अपना है
यह बात हमारा मन नहीं मानता।
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