विजय सालस्कर, अशोक काम्टे, हेमंत करकरे
हमारे तीन जाबांज पुलिस ऑफिसर
आज ही के दिन आंतकवादियों की भेंट चढ गए
यह भारत पर हमला था
ऐसा छिपा हुआ कायरता पूर्ण
जो पहले नहीं हुआ था
ताज होटल के मैनेजर
कमांडो संदीप उन्नीकृष्णन
होटल स्टाफ
अस्पताल के नर्स और डाॅक्टर
पूरी मुंबई तीन दिन तक बंधक रही
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर गोलीबारी
वह पुलिस जो कुर्सी से रोक रहा था
वह एनाउंसर जो अपनी जगह से हिला नहीं जिससे न जाने कितनों की जाने बच गई
तुकाराम ओंबाले
इन सबको भुलाना आसान नहीं
हम घर में बैठे यह मंजर देख रहे थे
वह हमारे जाबांज रिपोर्टर और पत्रकारों के कारण
जो पल पल की खबर दे रहे थे
अपनी जान जोखिम में डाल कर
जब विपदा आती है तब हर देशवासी किस तरह सामना करता है
युद्ध सरहद पर ही नहीं अंदर भी लडी जाती है
सभी का योगदान
सरकार का
कर्मचारियों का
पुलिस के जवानों का
कंमाडो का
सूचना देने वाले टैक्सी वाले का
अस्पताल के सफाई कर्मचारी का
नर्स और डाॅक्टर का
होटल स्टाफ का
इन सबके परिवार का
सामान्य जनता का
जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो कुर्बानी
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