मुझे समान अधिकार नहीं चाहिए
मुझे स्वतन्त्रता चाहिए
घूमने - फिरने की आजादी चाहिए
कपडे पहनने की आजादी चाहिए
तुम मालिक बने रहो
सब निर्णय लो
मुझे कोई फर्क नहीं पडता
मैं महफूज रहूँ
कोई गंदी नजर न डाले
तुम पुरूष हो तो आजाद हो
मैं नारी हूँ तो गुलाम हूँ
ऐसा क्यों है
हम भी मनुष्य है
हमारे ऊपर तमाम तरह की पाबंदी क्यों
वह भी पुरूष जाति की थोपी हुई
तुम क्यों नहीं
अपने जैसे जीने दे सकते हो
तुम्हारे कारण ही हम नारियां असुरक्षित महसूस करती है
घर से बाहर निकलने में डरती है
मनमुताबिक कपडे पहनने से डरती है
अकेले घूमने से डरती है
कब बदलोगे अपनी सोच
कहने को तो नर - नारी एक ही गाडी के दो पहिये
होता वैसा है नहीं
इसका जिम्मेदार केवल तुम्हारी सोच
No comments:
Post a Comment