जन्नत की परियां होती है
खुदा भेजता है उनको इस जहां में
मन की सुंदर ये अजीज संतान
कितना कुछ दे जाती है
नहीं उसका कोई हिसाब
एक नहीं दो घरों की रौनक
जहाँ रहती वहाँ अपनी रोशनी फैलाती
गरीब से गरीब बाप को भी धनवान कर जाती
कन्या दान जैसा महा दान करवाकर बाप को दानी बना जाती
नया निर्माण करती
संतान को जन्म दे वृक्ष बेल बढाती
उनको सींचती, पल्लवित करती
सक्षम नागरिक बना समाज को अर्पण करती
शक्ति स्वरूपा ये बेटियां
धन्य है वो माई - बाप
जिनके घर जन्मती ये बेटियां।
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