बचपन में माँ से यह बात सुनी थी
जिस पेड़ का जड ही कमजोर हो उसका तना मजबूत कैसे हो सकता है
बहुत समय लग जाता है
कभी-कभी एक जिंदगी गुजर जाती है
सामान्य रास्ते पर आने के लिए
गरीब का बेटा गरीब ही रहें यह जरूरी नहीं
लेकिन गरीबी से अमीरी तक का सफर इतना भी आसान नहीं
शून्य से शुरूवात
अपने बल पर खडा होना
बहुत कुछ खोता है
जीवन ही कहाँ जी पाता है वह
कर्तव्य और जुगाड़ के चक्कर में चकरघिन्नी सा घूमता रहता है
आने वाली पीढ़ी के लिए करना है कुछ
अपने लिए नहीं
ऐसी ही सोच में सब गुजर जाता है
कल और कल के चक्कर में आज फँसकर रह जाता है ।
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