Monday, 17 June 2024

पिता- पुत्र का रिश्ता ???

बात माॅ से होती है
पापा पीछे खड़े रहते हैं 
ध्यान लगाकर सुनने की कोशिश में 
चेहरे से अनुमान लगाते हैं 
क्या हो रही बातचीत 
बीच-बीच में धीरे से बोल देते हैं 
माँ को कुछ कहने के लिए कह देते हैं 
गलती से कभी फोन उठा लिया 
तब भी तेरी माँ को देता हूँ कहते हैं 
नहीं कहा तो बेटा कह देता है
मम्मी को दे दो जरा 
आमने-सामने न कभी बात होती है
पड़े तो एक - दूसरे से न नजरें मिलाते हैं 
बचकर निकल जाते हैं 
माँ से शिकायत बेटा भी करता है और पापा भी 
एक नसीहत देता है दूसरा ऊब जाता है
यह कैसा प्रेम है
होता तो दोनों तरफा है
नहीं लेकिन कहीं दिखता है
बीच में खड़ी रहती है माँ और पत्नी 
जो मध्यस्थ होती है
कौन सही कौन गलत से दूर 
लेती है बच्चों का पक्ष 
यहाँ पर भी बाप बेचारा 
रह जाता अकेला 
घर से दूर जाता बेटा 
माँ को तो गले मिलता 
पिता को बस प्रणाम कर लेता  
माँ तो रोती रोती दिखती 
पिता ऑसू छिपाए दिखते 
मन में जी भर कर प्यार 
तब क्यों नहीं आते पास - पास
यह रिश्ता है कितना खास 
इसे समझना नहीं इतना आसान 

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