Sunday, 15 September 2024

कहानी ???

जब तक जाना
तब तक सब जा चुका 
सोचते रहे 
समझते रहे
सोच सोच ही रह गई 
सब आगे निकल गया
उलझन सुलझाते रहे
सुलझते सुलझते 
अपने आप ही छिटक गई 
गुजर गया सब
याद रह गई 
पीड़ा चली गई 
टीस छोड़ गई 
यह आने - जाने की प्रकिया 
चल ही रही है
सांसों का सफर है 
तब तक ही 
उसके बाद किसने देखा है
प्रारब्ध का परिणाम 
कर्मों का लेख 
हर एक दर्ज जीवन की कहानी में
हर कहानी में एक और कहानी
एक दिखती है
एक ओझल है 
असली कौन सी 
यह तो इतिहास तय करेगा 

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