Tuesday, 12 November 2024

बस जैसे हैं वैसे हैं

सोचा था बहुत टूटकर चाहेंगे तुम्हें
वह हमने किया भी 
टूटते रहें , बिखरते रहें 
जोड़ते रहे 
हल कुछ नहीं 
टूटे हम ही 
जोड़ कुछ न पाए 
तुमको बदल न पाए 
हम ही अपने को बदलते रहे 
समझते रहे 
हमको समझने की कोशिश किसी ने नहीं की
उनकी नजर में भी बुरे बने
जिनका बुरा तो कभी भी न चाहा
न तब न अब न कभी 
जाने क्यों 
कोई हमें समझ ही न पाया 
अब न समझना है 
न समझदार होना है 
बस जैसे हैं वैसे ही ठीक है 

No comments:

Post a Comment