वह हमने किया भी
टूटते रहें , बिखरते रहें
जोड़ते रहे
हल कुछ नहीं
टूटे हम ही
जोड़ कुछ न पाए
तुमको बदल न पाए
हम ही अपने को बदलते रहे
समझते रहे
हमको समझने की कोशिश किसी ने नहीं की
उनकी नजर में भी बुरे बने
जिनका बुरा तो कभी भी न चाहा
न तब न अब न कभी
जाने क्यों
कोई हमें समझ ही न पाया
अब न समझना है
न समझदार होना है
बस जैसे हैं वैसे ही ठीक है
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