Sunday, 3 November 2024

जो रोता नहीं

कभी इसके लिए रोया 
कभी उसके लिए रोया 
जन्मते ही रोया 
यह जो सिलसिला शुरु हुआ 
अब तक चलता ही रहा 
कभी खुशी में कभी दुख में 
आँख के पानी ने साथ न छोड़ा 

बचपन में खिलोनों के लिए रोया
जवानी में भावविभोर हो रोया
कभी प्यार में कभी रोजगार में
बुढ़ापा और बीमारी देख कर रोया
कभी मिलन में कभी बिछुड़न में
कभी अकेले में कभी सबके समक्ष 
कभी तकिये में मुख छिपा 
कभी किसी के गले लग

सुना है रोना ठीक नहीं
मुझे तो लगता है 
जो रोया नहीं 
वह खुलकर जीया भी तो नहीं
मन भर रो लो 
जी भर हंस लो 
जिंदगी को अपने मुताबिक जी लो 

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