Sunday, 22 December 2024

बंधन

न तुम खुश 
न मैं खुश 
फिर भी है साथ
सफर चला 
चलता रहा
चल रहा है 
ऐसा कैसे 
कुछ बात तो होगी
तुममें भी
हममें भी 
कोई मजबूत डोर तो है
निभाने में कोई कसर न छोड़ी 
कोई कम कोई ज्यादा
पहल तो रही
पूरा तो कोई नहीं बदला
बस थोड़ा तुम भी बदले
थोड़ा मैं भी बदली 
यहीं तो वह बात रहीं 
एक प्यार का धागा था 
जो जोड़े रखा
न तुमने खींच कर तोड़ा 
न हमने तुमने दिया
वह मजबूत होता गया
अब तो टूटने की गुंजाइश ही नहीं 
हां शिकवा - शिकायत तो है और रहेगी 
वह तो खत्म होने से रही
बस साथ- साथ चलो
थोड़ा-बहुत आगे - पीछे
चल जाएगा 
जिंदगी कट जाएगी 

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