Saturday, 8 February 2025

क्यों इतराता फरवरी

कम दिन का महीना
तब भी सबको प्यारा है फरवरी
प्रेम की सौगात लाता है 
न जाने कितने डेज मनाता है 
रोज डे प्रपोज डे वैलेंटाइन डे 
अपने पर इतराता है
क्या एक ही महीने में सब संभव
वह यह क्यों भूल जाता है 
दिसंबर से जनवरी तक 
प्रेमियों ने कितने पापड़ बेले हैं
न जाने कितनी मनुहारें  की है 
फूल अचानक नहीं खिले 
बहुत खाद - पानी देकर सींचा 
तब जाकर खिले हैं 
रंगत आई है 
मुस्करा रहे हैं 
हां यह बात दिगर
इजहार तो फरवरी में होना था 
प्यारा लगता है
इंतजार होता है 
तब जाकर यह कहीं आता है 
यह न सोचे और ध्यान रखें 
जनवरी तक सबने मुझे सौगात दिया है 
तब यह आया है
इस  एहसान का एहसास रहें 
खुशी मनाओ 
प्रेम के रंग में रंग जाओ
ऐसा रंगों कि ताउम्र संग रहे 


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