Thursday, 17 July 2025

वक्त

वक्त ने हमेशा ऑखमिचौली की 
जब चाहा तब साथ रहा नहीं 
अपनी ही चाल चलता रहा
अपना भी वक्त आएंगा 
इसी आस में दिन बीतते गए 
कब वह आया 
यह तो पता ही नहीं चला 
हमसे दूर ही क्यों रहता है 
जब चाहिए था तो वक्त नहीं 
अब वक्त है तो हम भी वह नहीं 

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