Friday, 17 October 2025

प्रेम

जहाँ याचना करनी पड़े 
वह प्रेम नहीं होता 
इसे भीख में नहीं लेना
क्रोध - नाराजगी - उपेक्षा 
ठीक है 
वह तो होता है 
अधिकार भी होता है 
दया नहीं 
याचना नहीं 
भीख नहीं 
यहाँ सब बराबर 
न मैं न तुम 
बस हम 
इसमें ही लिपटा जीवन 

No comments:

Post a Comment