Wednesday, 17 August 2016

नवरोज मुबारक हो- जीओ पारसी

नवरोज हमारे पारसी बंधुओं का त्योहार
अग्नी और पानी की उपासना करने वाले
बाहर से आए लेकिन यही के हो रह लिए
बिल्कुल उस तरह जैसे दूध में पानी
गुजरात और मुंबई के तट पर जहाज उतरा
और उसमें आए यह मेहमान
कभी कोई लडाई न कोई दंगा
शांत लेकिन कानून के पाबंद
बिना डर के किसी का भी सामना करें
स्वतंत्रता की लडाई से लेकर औद्योगिक विकास तक
सबमें अहम भूमिका
भारतीय सेना हो या न्यायालय
जनरल माणिक शॉ और सोली सोराबजी
दादाभाई नौरोजी और जमशेद जी टाटा
गोदरेज से लेकर भाभा
हर जगह अपने परचम पहराए.
यह लोग तो हमारे भारत की शान है
इनकी संख्या दिनोदिन घटती जा रही है
सरकार भी चिंतित है
जीओ पारसी -  को शुरू कर इन्हें कायम रखने की कोशिश
भारत माता को ऐसे सपूतों का जरूरत है
यह वह धर्म है जहॉ मरने के बाद भी परोपकार
अंगों को कुएं पर रखी जाली पर डालना
ताकि चील,गिद्ध ,कौए जैसों का पेट भरे
भारत के विकास की जब- जब बात चलेगी
पारसी उनमें अग्रणीय होगे
कम होने के बावजूद इतना योगदान
देश को नाज है
जीओ पारसी
नवरोज मुबारक हो

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