पुलिस सो रही,सरकार सो रही ,व्यवस्था चरमरा रही
जमीर मर रहा ,बलात्कार हो रहा
यहॉ- वहॉ घूम रहे नराधम ,इंसानी भेष में पशु
घर- बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं महिलाएं
समाज ,व्यक्ति और देश बदल रहा
विकास के साथ पशुता भी बढ रही
हैवानियत को शर्मशार कर रही
घर ,सडक ,हाइवे कहीं भी कभी भी
औरत की आबरू से खिलवाड
उसके जीवन को जहन्नुम बना देना
वासना का खिलौना मान लेना
पशुता और दरिंदगी को भी मात करना
पिशाच कर्म करना ,वासना का तांडव
अब सब होने के बाद व्यक्ति ,समाज ,पुलिस- प्रशासन
समाज सुधारक ,एन जी ओ ,नेता जागेगे
रैलियॉ निकलेगी ,सहानुभूति दिखाई जाएगी
धरने - प्रर्दशन होगे ,लाठी चार्ज होगा
टेलीविजन पर वाद - विवाद होगे
फिर शॉति ,सब भूला दिया जाएगा
तब तक के लिए
जब तक फिर कोई निर्भया शहीद न हो
किसी मॉ - बेटी की आबरू तार- तार न हो
इन नराधमों के हौसले फिर बढेगे
कोर्ट - कचहरी के चक्कर लगेगे
मानवधिकार आयोग दखल देगा
इंसानियत की दुहाई दी जाएगी
जमानत पर छूटेगे ,हौसले और बढेगे
शिकार की टोह में रहेगे
आज बुलंदशहर कल कोई और शहर
कब तक पीडित होती रहेगी महिलाएं
व्यक्ति ,परिवार ,पुलिस- प्रशासन ,समाज ,सरकार
जाति - पंचायत ,धर्म गुरू ,समाज सुधारक
जब तक न लेंगे संज्ञान
तब तक न रूकेगा महिलाओं पर अत्याचार
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